Monday, August 15, 2011



"ये जनगान समर्पित है देश के उन वीर जवानों को जो भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे देते है."
हे भारत के राम जगो ,मैं तुम्हे जगाने आया हू ,
सो धर्मो का धर्म एक ,बलिदान बताने आया हूं ,
सुनो हिमालय कैद हुआ है ,दुश्मन की जंजीरों में
आज बता दो कितना पानी है भारत के वीरो में ,
 कड़ी शत्रु की फौज द्वार पर आज तुम्हे पुकार रही ,
सोये सिंह जगो भारत के माता तुम्हे पुकार रही ,
रण की भेरी बज रही ,उठो घोर निंद्रा त्यागो ,
पहला शीश चढाने वाले ,माँ के वीर पुत्र जगो
बलिदानों के वज्र दंड पर, देश भक्त की ध्वजा जगे ,
और रण के कंकर पहने है ,वो राज सिंह की भुजा जगे II

अग्नि पंथ के पंथी जागो ,शीश हथेली पर धरकर ,
जागो रक्त के भक्त लाडले ,और जागो सरके सौदागर,
खप्पर वाली काली जागे ,जागे दुर्गा बर्बंडा ,
और रक्त बीज का रक्त चाटने वाली जागे चामुंडा ,
नर मुंडो की माला वाला ,जागे कपाली कैलाशी ,
रण की चंडी घर घर नाचे , मौत फिरे प्यासी प्यासी ,
रावन का वध स्वयं करूँगा ,कहने वाला राम जगे,
और कौरव शेष एक बचेगा ,कहने वाला श्याम जगे ,
परुशराम का परशु जगे ,रघुनन्दन का बन जगे ,
यदुनंदन का चक्र जगे ,अर्जुन का धनुष महान जगे ,
परुशराम का परशु जगे ,पोरुष परुस महान जगे ,
और सेल्यूकस को कसने वाला ,चन्द्रगुप्त बलवान जगे II

हठी हमीर जगे ,जिसने झुकना कभी जाना ,
जगे पदमनी का जोहर ,जागे केशरिया बना ,
देशभक्त का जीवीत झन्डा , आजादी का दीवाना ,
और रक्त प्रताप का सिंह जागे ,वो हल्दी घाटी का राना
दक्खिन वाला जगे शिवाजी .,खून शाहजी का राना ,
मरने की हठ ठाना करते ,वीर मराठो के राजा ,
छत्र शाल बुंदेला जागे ,पंजाबी कृपान जगे,
और दो दिन जिया शेर के माफिक ,वो टीपू सुलतान जगे ,
कंवाहे का जगे मोर्चा ,जगे झाँसी की रानी ,
अहमदशाह जगे लखनऊ का ,जगे कुंवर सिंह बलिदानी ,

कंवाहे का जगे मोर्चा ,पानीपत मैदान जगे ,
भगत सिंह की फांसी जगे ,राजगुरु के प्राण जगे II
जिसकी छोटी सी लकुटी से ,संगीने भी हार गयी(बापू )
हिटलर को जीता ,वे फौजे सात समुन्द्र पर गयी ,

मानवता का प्राण जगे ,और भारत का अभिमान जगे 
उस लकुटि और लंगोटी वाले बापू का बलिदान जगे ,
ये भारत देश महान जगे ,ये भारत की संतान जगे ,
आजादी की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया ,

स्वयं कफ़न की गाँठ बाँधकर,सातों भंवर घूम गया ,
उस सुभाष की शान जगे ,उस सुभाष की आन जगे ,
ये भारत देश महान जगे ,ये भारत की संतान जगे II

झोली लेकर मांग रहा हू ,कोई शीश दान दे दो ,
भारत का भैरव भूखा है , कोई प्राण दान दे दो ,
 खड़ी म्रत्यु की दुल्हन कुवारी ,कोई ब्याह रचा लो ,
कोई मर्द अपने नाम की चूड़ी तो पहना दो ,
 कौन वीर निज ह्र्युदयरक्त से इसकी मांग भरेगा ,
कौन कफ़न का पलंग बिछा कर ,उस पर शयन करेगा ,

कश्मीर हड़पने वाले , कान खोल सुनतें जाना ,
भारत के सर की कीमत तो ,सिर्फ सर है ,
कोहिनूर की कीमत चाहे पांच हज़ार दीनार है,
रण के खेतो में जब छायेगा अमर म्रय्तु का सन्नाटा ,

लाशो की जब रोटी होंगी ,और बारूदों का आटा ,
सन्न सन्न करतें तीर चलेंगे ,वो माझी के तन वाला ,
जो हमसे टकराएगा ,चूर चूर हो जायेगा ,
इस मिटटी को छूने वाला, मिटटी में मिल जायेगा ,

मैं घर घर मैं इन्कलाब की आग जलाने आया हू ,
हे भारत के राम जगो ,मैं तुम्हे जगाने आया हूं II

जय हिंद !!!
जय भारत !!!



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